THINGLIYAN – NIRMAL VERMA

THINGLIYAN – NIRMAL VERMA

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THINGLIYAN – NIRMAL VERMA निर्मल जी की कहानियाँ हमें जीवन के किसी अदेखे से पल को उसके पूरे विस्तार में फैलाकर थमा देती हैं। एक साधारण से मनुष्य के इर्द-गिर्द लिपटी चलती पीड़ा की झीनी-सी परत सहसा एक बड़े फलक पर अर्थवान हो उठती है; हर जगह अदेखे से जिये जाते सामान्य-साधारण लोगों को उनकी…

Description

THINGLIYAN – NIRMAL VERMA

निर्मल जी की कहानियाँ हमें जीवन के किसी अदेखे से पल को उसके पूरे विस्तार में फैलाकर थमा देती हैं। एक साधारण से मनुष्य के इर्द-गिर्द लिपटी चलती पीड़ा की झीनी-सी परत सहसा एक बड़े फलक पर अर्थवान हो उठती है; हर जगह अदेखे से जिये जाते सामान्य-साधारण लोगों को उनकी उसी साधारणता में आलोकित कर देने की इसी कला को निर्मल वर्मा की भाषा और दृष्टि का जादू कहा जाता है।

‘थिगलियाँ’ में निर्मल जी की अभी तक असंकलित कहानियाँ पहली बार एक साथ प्रकाशित हो रही हैं। इनमें से ज़्यादातर कहानियाँ साठ के दशक में लिखी गईं और विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशित हुईं। इन कहानियों में जो विशेष है, वह है पात्रों की मन:स्थितियों और उनके सामाजिक भूगोल का अत्यन्त स्पर्श्य चित्रांकन।

ये कहानियाँ न अपने मन्तव्य को ऊँचे स्वर में घोषित करती हैं, न दुख के उस तार को कहीं ढीला पड़ने देती हैं, जिसको चिह्नित करना ही लेखक का उद्देश्य है—उसके पूरे तनाव के साथ। इतिहास और समाज के विराट विस्तार में अवस्थित सामान्य लोगों की सामान्य दैनंदिनी के ये महीन चित्र नाटकीय घटनाओं के निर्जीव विवरणों के मुक़ाबले कहीं ज़्यादा वास्तविक लगते हैं।

‘रिश्ते’ के महीप, एला और सुरमा, ‘बैगाटेल’ के हेमंती और सुमेर, ‘थिगलियाँ’ की चंदा बीबी और मास्टर जी, ‘रात और दिन’ की प्रेमा, ‘इशारे’ के अमर बाबू—ये सभी पात्र उतने ही आम हैं, जितना हर कोई होता है, और उतने ही ख़ास भी।

इस पुस्तक में निर्मल जी के दो अपूर्ण उपन्यास भी शामिल हैं।

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