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mukti3.0 kumar samvad 1947 में भारत स्वतंत्र हुआ था। यह पहली मुक्ति थी, राजनैतिक मुक्ति, मुक्ति 1.0। 1950 में डॉक्टर अंबेडकर और बी. एन. राव के नेतृत्व में भारत का संविधान बनकर तैयार हुआ, यह मुक्ति 1.0 की अंतिम अभिव्यक्ति थी। 1990 के दशक में एक और मुक्ति का आह्वान हुआ। यह आह्वान हालांकि बहुत…
mukti3.0 kumar samvad
1947 में भारत स्वतंत्र हुआ था। यह पहली मुक्ति थी, राजनैतिक मुक्ति, मुक्ति 1.0। 1950 में डॉक्टर अंबेडकर और बी. एन. राव के नेतृत्व में भारत का संविधान बनकर तैयार हुआ, यह मुक्ति 1.0 की अंतिम अभिव्यक्ति थी।
1990 के दशक में एक और मुक्ति का आह्वान हुआ। यह आह्वान हालांकि बहुत संकटपूर्ण स्थिति में हुआ था जिसकी चर्चा यहां करना आवश्यक नहीं, किंतु यह जरूरी था। राव- मनमोहन मॉडल ने भारत को दूसरी मुक्ति देने का कार्य किया, आर्थिक मुक्ति, मुक्ति 2.0। पी. वी. नरसिम्हा राव जी के प्रधानमंत्री काल में श्री मनमोहन सिंह की दूरदृष्टिता ने भारत की अर्थव्यवस्था को सरकारी चंगुल, लाइसेंस- कोटा- परमिट राज से आजादी दिलाई।
मुक्ति 3.0 का अर्थ होगा शिक्षा व्यवस्था का सरकारी नियंत्रण से मुक्त होना तथा जनमानस के हाथ में एक और सामाजिक शक्ति का वापस लौटना जो औपनिवेशिक काल में समाज से छीनकर औपनिवेशिक सत्ता द्वारा अपने हाथों में संचित कर ली गई थी। इस तीसरी मुक्ति की दिशा में एक प्रयास है यह पुस्तक:- मुक्ति 3.0।
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