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भारत ने इस बार एशियाई खेलों में 107 मेडल जीतकर अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन दिया है। पहले एशियाई खेल में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 70 मेडल था। भारत के खिलाड़ियों को बहुत बधाई है और कहीं न कहीं कई राज्य और केंद्र सरकार की नीतियां भी खेल को सहयोग देने वाली रही हैं।बात सिर्फ मेडल की ना है। बात ये है कि एक एक खिलाड़ी दो दो मेडल भी जीत कर आया है। बात ये भी है कि भारत की मुखर्जी बहनों के ऑटोग्राफ चीन के लोग ले रहे थे। बात ये भी है कि भारत ने पहली बार 100 का मनोवैज्ञानिक आंकड़ा पार किया है। बात ये भी है कि पहली बार top 5 में आए हैं और वो भी 4th स्थान पर। बात ये भी है कि एक साथ दो दो भारतीय पोडियम पर खड़े थे।चीन के भेदभावपूर्ण स्वैये के बावजूद ये मुकाम पाना अपने आप में दिल को खुश करता है। कई लोग कहेंगे कि हमसे आकर और जनसंख्या में छोटे जापान और कोरिया हमसे आगे हैं। ये भी कहेंगे कि चीन के सोने के तमगे हमारे कुल तमगों से ज्यादा हैं। ये भी कहेंगे कि सबसे ज्यादा जनसंख्या वाले देश का ये हाल? तो पिछले खेलों से अपनी ग्रोथ को देखना जरूरी हो जाता है। उसको देखकर आप अगर गर्व से नहीं भरते हैं तो फिर मुझे आपसे कोई उम्मीद नहीं।ये इस बार के खेल इसलिए भी महत्वपूर्ण हैं कि कई खिलाड़ियों ने राष्ट्रीय रिकॉर्ड तोड़े, कई ने अपने व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन दिए, कई खेलों में अगली पीढ़ी के सितारे मिले, कई खेलों में पहली बार हम कोई मेडल जीत पाए और कई खेलों में नए एशियाई रिकॉर्ड बने। अब ये जानकर आपके अंदर बहुत उत्सुकता जाग गई होगी। तो फिर देर कैसी है @thebridge_in को फॉलो करो जिनकी वजह से मुझे एक एक पल की खबर रही। सभी खेलों के प्रति इतनी ईमानदार कवरेज और कोशिश के लिए इनका धन्यवाद भी कीजिए। अपने नए सितारों से मिलिए।खैर थोड़ी निराशा भी हुई अपना कुश्ती का प्रदर्शन देखकर वर्ण इस बार पिछले एशियाई खेलों के दूसरे पदक भी आ सकते थे हमारी झोली में। कुश्ती में एक भी गोल्ड ना मिलना खलता है और बहुत खलता है। लेकिन ये अप्रत्याशित नहीं था। जिस तरह कुश्ती संघ राजनीति का अखाड़ा बना हुआ था और खिलाड़ी अपनी तैयारी से दूर थे ऐसे में अत्यधिक प्रतिस्पर्धी खेल में हमारा इस बार पिछड़ना स्वाभाविक था। उम्मीद है आगे ऐसा न हो। न कुश्ती संघ में और न ही अन्य खेलों में।भारत कलाकारों और खिलाड़ियों की सॉफ्ट पावर को समझ नहीं पाया है और हम ने उसका इस्तेमाल अच्छे से नहीं किया।खिलाड़ी देश की गुड विल को बढ़ाते हैं। अकेले बोल्ट रोनाल्डो और कोहली पूरे देश का नाम रोशन करने की क्षमता रखते हैं।तो इस दिशा में देश में खेल पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देने की घोर आवश्यकता है ताकि ज्यादा खिलाड़ी मतलब ज्यादा सॉफ्ट पावर।खेला की बता है तो एक अंतरराष्ट्रीय खेला भी देखने को मिला। चीन ने हमारे अरूणांचल के वूशु खिलाड़ियों को वीजा ही नहीं दिया और हमारी टीम खेल में सम्मिलित नहीं हो पाई। आगे हमको इसको याद रखना चाहिए और ई का जनाब पत्थर से देना चाहिए। ताइवान, तिब्बत, मंचूरिया के खिलाड़ियों को एक अलग देश के रूप में देखा जाना चाहिए अगर भारत में कभी खेल हों।बाकी अब चुनाव के मद्देनजर मोदी जी की सेल्फी की प्रतीक्षा के साथ सभी खिलाड़ियों को बहुत बहुत बधाई। कमेंट में हो सके तो इस बार के अपने फेवरेट स्टार का नाम मेंशन करके उनको बधाई दे सकते हो।
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